कोरोना संक्रमण की थर्ड वेव आनी तय, के लिए बूस्टर डोज अनिवार्य ... ओमिक्रॉन पर बोले जाने-माने एक्सपर्ट
देश के एक जाने-माने हेल्थ एक्सपर्ट व फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कोरोना संक्रमण के थर्ड वेव को गवर्नमेंट को अलर्ट किया है। एक्सपर्ट ने कहा है कि कोरोना की थर्ड वेव आनी तय है। गंभीर रोगों से ग्रस्त, कमजोर प्रतिरक्षा वालों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर बूस्टर डोज के लिए रणनीतिक योजना बनाई जानी चाहिए।
नई दिल्ली। देश के एक जाने-माने हेल्थ एक्सपर्ट व फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अशोक सेठ ने कोरोना संक्रमण के थर्ड वेव को गवर्नमेंट को अलर्ट किया है। एक्सपर्ट ने कहा है कि कोरोना की थर्ड वेव आनी तय है। गंभीर रोगों से ग्रस्त, कमजोर प्रतिरक्षा वालों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा को लेकर बूस्टर डोज के लिए रणनीतिक योजना बनाई जानी चाहिए।
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देश भर में ओमिक्रॉन के मामलों में वृद्धि को देखते हुए सेठ ने कहा है कि हम वास्तविकता में जोखिम में हैं। इसलिए तैयारियों की विशेष आवश्यकता है। ओमक्रोन को वायरस के दूसरे वैरिएंट की तुलना में बहुत संक्रामक भी माना जा रहा है। कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन दुनियाभर के कई देशों में अपने पैर जमा चुका है। ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना की थर्ड वेव निश्चित है। ऐसे में लोगों की सुरक्षा के लिए विशेषकर हेल्थकेयर वर्कर्स, कम एंटीबॉडी और बुजुर्गों के लिए बूस्टर खुराक का रोडमैप बनाया जाना चाहिए।
ओमिक्रॉन वैरिएंट बेहद संक्रामक है और इसमें एंटीबॉडी भी काम नहीं करती
ओमिक्रॉन वैरिएंट के चिंताजनक पहलुओं डॉ. सेठ ने कहा कि ये वैरिएंट बेहद संक्रामक है और इसमें एंटीबॉडी भी काम नहीं करती है। ओमिक्रॉन मामलों के संबंध में इंग्लैंड के उदाहरणों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ है। जिनकी एंटीबॉडी कम है, उन्हें हॉस्पीटल में एडमिट कराया जा रहा है।हालांकि, उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह वैरिएंट एक इमरजेंसी प्रोबलम पैदा नहीं करेगा जिसके लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी।
डॉ. सेठ ने कहाकि साउथ अफ्रीका में ओमिक्रॉन के मामलों की संख्या में तेजी के बावजूद मौतें कम रही हैं। मुझे आशा है कि दुनिया में भी ऐसी ही स्थिति बनी रहेगी। बूस्टर डोजक पर निर्णय लेने के लिए भारत में संक्रमण डेटा पर एनटीएजीआई विश्लेषण पर एएनआई की रिपोर्ट पर डॉ. सेठ ने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल यह है कि सही फेजकब है? सही समय कब है? किसके लिए बूस्टर दिया जाना चाहिए? एंटीबॉडी को दरकिनार कर रहे इसके दुष्परिणाम स्पष्ट प्रमाण हैं जो हमें बताते हैं कि जब एक बूस्टर दिया जाता है, तो हम इस प्रकार के खिलाफ और भविष्य के वैरिएंट से बेहतर रूप से सुरक्षित होते हैं।
नया वैरिएंट अत्यधिक संक्रामक और प्रतिरक्षा को भी देता चकमा
उन्होंने कहा कि हम वास्तविक खतरे में और इसका सामना करने के लिए तैयारी करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट अत्यधिक संक्रामक है और प्रतिरक्षा को भी चकमा देता है। बीमारी की गंभीरता पूरी तरह से व्यक्ति की प्रतिरक्षा पर निर्भर है। भारत बहुत बड़ा देश है और अगर इसकी आबादी का एक छोटा हिस्सा भी गंभीर रूप से बीमार पड़ता है तो अस्पताल में पेसेंट की संख्या बढ़ जायेगी। ओमिक्रोन के संदर्भ में इंग्लैंड का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां जिन लोगों ने वैक्सिन नहीं लगवाये हैं और जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर है उन्हें हॉस्पीटल में एडमिट कराना पड़ रहा है।साउथ अफ्रीका का उदाहरण देते हुए डा. सेठ ने कहा कि वहां ओमिक्रोन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन मौतों की संख्या कम है। उम्मीद करते हैं कि दूसरे देशों में भी ऐसी ही स्थिति होगी।
बूस्टर डोज से मिलेगी अधिक सिक्युरिटी
बूस्टर डोज पर निर्णय करने के लिए वैक्सीनेशन पर एनटागी द्वारा ब्रेकथ्रू मामलों का आकलन किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि बूस्टर डोज के लिए सही समय क्या है और किसके लिए बूस्टर डोज दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय नया वैरिएंट फैल रहा है। यह प्रतिरक्षा को भी चकमा दे रहा है। पश्चिम के हालात से भी हमें यह संकेत मिल रहा है कि दो डोज की तुलना में बूस्टर डोज हमें ज्यादा सुरक्षा देगी।