धनबाद: अलकुसा यूसीसी आउटसोर्सिंग में रंगदारी में वर्चस्व को लेकर मर्डर की आशंका, स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट पर पुलिस हुई अलर्ट
केंदुआडीह पुलिस स्टेशन एरिया के अलकुसा में आउटसोर्सिंग में रंगदारी व वर्चस्व को लेकर क्रिमिनल एक और मर्डर करने की कोशिश में हैं। स्पेशल ब्रांच की ओर से इस संबंध में एक रिपोर्ट पुलिस हेडक्वार्टर रांची भेजी गयी है। धनबाद पुलिस को भी इस सूचना से अवगत कराया गया है। इसके बाद पुलिस अलर्ट हो गयी है।
- आउटसोर्सिंग में वर्चस्व को लेकर दो गुटों के बीच वर्चस्व की जंग
धनबाद। बीसीसीएल में माइनिंग व ट्रांसपोर्टिंग का काम करने वाली आउटसोर्सिंग में रंगदारी व वर्चस्व को लेकर झरिया से बाघमारा कर वर्चस्व की जंग छिड़ी है। बीजेपी लीडर सतीश सिंह की मर्डर से भी पुलिस सीख नहीं ले सकी है। वर्चस्व को लेकर तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। ताजा मामला है कि केंदुआडीह पुलिस स्टेशन एरिया के अलकुशा में क्रिमिनल एक और मर्डर करने की कोशिश में हैं। स्पेशल ब्रांच की ओर से इस संबंध में एक रिपोर्ट पुलिस हेडक्वार्टर रांची भेजी गयी है। धनबाद पुलिस को भी इस सूचना से अवगत कराया गया है। इसके बाद पुलिस अलर्ट हो गयी है।
स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गयी है कि झरिया के एक एक्स जनप्रतिनिधि का खासमखास जो वर्तमान में अलकुसा यूसीसी आउटसोर्सिंग में रंगदारी वसूलने की कोशिश में जुटा है। उसकी मर्डर हो सकती है। बीजेपी लीडर सतीश सिंह की मर्डर करने वाले क्रिमिनल ही इस घटना को अंजाम देने की फिराक में हैं। स्पेशल ब्रांच ने अलकुशा यूसीसी आउटसोर्सिंग में वर्चस्व को लेकर मर्डर की आशंका ने एक बार फिर पुलिस की बेचैनी बढ़ा दी है। पुलिस अलकुसा में रंगदारी करने वालों पर नकेल कसने की कोशिश में जुट गयी है।
उल्लेखनीय है कि सतीश सिंह मर्डर केस में शामिल कई क्रिमिनल अभी पुलिस पकड़ से दूर हैं। कुछ दिन पहले ही खैरा व बासुदेवपुर में आउटसोर्सिंग कंपनी के प्रोपराइटर संजय खेमका से 50 लाख रुपये रंगदारी मांगी गई है। रंगदारी नहीं देने पर बीजेपी लीडर सतीश सिंह की तरह मर्डर की धमकी दी गई है। इससे खेमका फैमिली भयभीत हैं। पुलिस अभी तक क्रिमिनलों तक पहुंचने में विफल है।
आउटसोर्सिंग की रंगदारी में सफेदपोशों के साथ पुलिस की भी हिस्सेदारी
बीसीसीएल में काम करने वाली आउटसोर्सिंग की रंगदारी में क्रिमिनल,सफेदपोश व पुलिस की भी हिस्सेदारी है। लोकल पुलिस व डीएसपी लेवल तक मंथली मिलने का आरोप लगता रहा है। यही कारण है कि कई ममले में पुलिस पार्टी बन जाती है। हलांकि डीसी व एसएसपी लेवल से कई बार हिदायत दी जा चुकी है किसी विवाद में पुलिस पार्टी नहीं बने। कानून के अनुसार काम करें।