झारखंड: नये विधानसभा भवन और हाईकोर्ट निर्माण की जांच करेगा ACB, सीएम हेमंत सोरेन ने दी मंजूरी
झाारखंड के नये विधानसभा भवन और उसके पास ही बन रहे नये हाईकोर्ट भवन के निर्माण की जांच एसीबी करेगा। सीएम हेमंत सोरेन ने एसीबी जांच की स्वीकृति दे दी है। सीएम ने बिल्डिंग के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की कंपलेन के बाद एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया है।
- रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया है बिल्डिंग
रांची। झाारखंड के नये विधानसभा भवन और उसके पास ही बन रहे नये हाईकोर्ट भवन के निर्माण की जांच एसीबी करेगा। सीएम हेमंत सोरेन ने एसीबी जांच की स्वीकृति दे दी है। सीएम ने बिल्डिंग के निर्माण में वित्तीय अनियमितता की कंपलेन के बाद एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया है। यह भवन रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने बनाया है।
सीबीआई से जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट में दायर है याचिका
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट के भवन निर्माण में गड़बड़ी को लेकर जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया है कि अफसर और कंट्रेक्टर की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितता बरती गयी है। हाईकोर्ट भवन निर्माण के लिए पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में टेंडर निकला था। सीएम श्री दास के पास भवन निर्माण का भी जिम्मा था।
कहा गया है कि शुरुआत में हाईकोर्ट भवन निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी। बाद में 100 करोड़ घटा कर संवेदक को 265 करोड़ में टेंडर दे दिया गया। फिर बाद में इसकी लागत बढ़कर लगभग 697 करोड़ रुपये कर दी गयी। बढ़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गयी है और न ही नया टेंडर किया गया। याचिका में मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गयी है।
रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी भी आयेगी ACB जांच के दायरे में
विधानसभा भवन निर्माण करने वाली रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी तक एसीबी की जांच पहुंचेगी। रांची में जेएससीए स्टेडियम के पास करीब 39 एकड़ जमीन पर झारखंड विधानसभा का नया भवन बना है। इस पर 465 करोड़ की लागत आयी है।आरोप है कि विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी बता कर भवन निर्माण के इंजीनियरों ने पहले 465 करोड़ के मूल प्राक्कलन को घटा कर 420.19 करोड़ कर दिया। फिर 12 दिन बाद ही बिल ऑफ क्वांटिटी (BOQ) में निर्माण लागत 420.19 करोड़ से घटा कर 323.03 करोड़ कर दिया। टेंडर निबटारे के बाद 10 परसेंट कम यानी 290.72 करोड़ रुपये की लागत पर रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को काम दे दिया गया। कंपनी के कहने पर वास्तु दोष का नाम पर साइट प्लान का ड्राइंग बदला गया। इससे निर्माण क्षेत्र 19,943 वर्ग मीटर बढ़ गया।अब बढ़े हुए निर्माण का क्षेत्र पर समानुपातिक दर से कंपनी के पमेंट का फैसला किया गया है।
एजी ने गड़बड़ियों से संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी
एजी ने उक्त गड़बड़ियों से संबंधित रिपोर्ट सरकार को भेजी है। रिपोर्ट के अनुसार झारखंड विधानसभा कांप्लेक्स (सेंट्रल ब्लॉक, इस्ट ब्लॉक, वेस्ट ब्लॉक) के निर्माण की जिम्मेदारी ग्रेटर रांची डेवलपमेंट एजेंसी (जीआरडीए) को सौंपी गयी थी। बाद में जीआरडीए से यह जिम्मेदारी वापस लेकर भवन निर्माण को सौंपने का फैसला लिया गया। हालांकि यह फैसला कब और किस लेवल पर हुआ, इसका उल्लेख रिकार्ड में नहीं है। इस फैसले के बाद विधानसभा निर्माण का डीपीआर सहित सभी दस्तावेज भवन निर्माण विभाग के हवाले कर दिया गया।विधानसभा कांप्लेक्स भवन के डीपीआर में सर्विस बिल्डिंग, गेस्ट हाउस, कार पार्किंग और वाच टावर आदि के निर्माण का उल्लेख था।
डीपीआर में विधानसभा कांप्लेक्स की लागत 465 करोड़ रुपये आंकी गयी थी। भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने डीपीआर पर अपनी सहमति देते हुए 564 करोड़ रुपये के लागत से निर्माण की तकनीकी स्वीकृति दी।इसी आधार पर 10 दिसंबर, 2015 को 465 करोड़ की लागत पर विधानसभा कांप्लेक्स के निर्माण की प्रशासनिक स्वीकृति मिली। फिर 23 दिसंबर 2015 को विधानसभा के इंटीरियर वर्क के हिसाब-किताब में गड़बड़ी का हवाला देते हुए प्राक्कलन 465 करोड़ रुपये से घटा कर 420.19 करोड़ रुपये कर दिया गया। इसके लिए यह तर्क पेश किया गया कि इंटीरियर वर्क में स्टील, कंक्रीट सहित कुछ अन्य सामग्रियों की गणना में गड़बड़ी हुई थी। यानी डीपीआर में ज्यादा लिखा गया था, जिसे कम कर दिया गया। हिसाब किताब में गड़बड़ी में सुधार के दूसरे ही दिन यानी 24 दिसंबर, 2015 को उसी मुख्य अभियंता ने 420.19 से घटा कर 323.03 करोड़ का बीओक्यू स्वीकृत किया। इस तरह टेंडर प्रक्रिया तक विधानसभा निर्माण की लागत 465 करोड़ से घट कर 323.03 करोड़ हो गयी।
टेंडर के टेक्निकल बिड में शापोरजी पालोन जी, एल एंड टी, नागार्जुन और रामकृपाल कंस्ट्रक्शन सभी सफल घोषित हुए। फाइनांशियल बिड में रामकृपाल को छोड़ बाकी सभी कंपनियां पिछड़ गयी। रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 290.72 करोड़ में विधानसभा कांप्लेक्स बनाने का दावा पेश किया था। यह सबसे कम था। इसलिए एल-वन घोषित करते हुए 25 जनवरी 2016 को उसके साथ एग्रीमेंट किया गया। टेंडर के कुल प्राक्कलन में कंट्रेक्टर का 10 प्रतिशत मुनाफा जुड़ा रहता है। रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने 10 प्रतिशत कम पर काम लिया। यानी कंपनी बगैर मुनाफे के ही विधानसभा कांप्लेक्स का निर्माण कार्य कर रहा रहा है। निर्माण कार्य शुरू करने के बाद कंपनी ने विधानसभा के प्लान में वास्तु दोष होने की बात कही। पीडब्ल्यूडी कोड में वास्तु दोष की मान्यता नहीं होने के बावजूद सरकार ने कंपनी की बात मान ली। वास्तु दोष के समाधान के नाम पर साइट प्लान का ड्राइंग बदल दिया गया।इस बदलाव से निर्माण के लिए निर्धारित 37200 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल बढ़ कर 57143 वर्ग मीटर हो गया। इंजीनियरों ने बढ़े हुए 19,943 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल को कंपनी के साथ किये गये एग्मेंरीमेंट शामिल करने का मांग की। इसके बाद हाईलेवल बैठक में बढ़े हुए निर्माण क्षेत्र का भुगतान समानुपातिक दर पर करने का फैसला किया गया।
हाइकोर्ट निर्माण का टेंडर
हाइकोर्ट भवन के निर्माण के लिए 366.03 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी। लेकिन टेंडर के समय इसे घटा कर 267.66 करोड़ कर दिया गया। टेंडर के बाद बीओक्यू बनाते समय हटाये गये काम को कंपनी को सौंप दिया गया।बाद में निर्माण में नये काम को जोड़ कर निर्माण लागत 697.32 करोड़ रुपये कर दिया गया।
रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी
रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री क्षेत्र में बैंक के साथ बेहतर व्यवसाय करनेवाली देश की 10 प्रमुख कंपनियों में स्थान दिया है। रामकृपाल सिंह कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश में पहली ऐसी कंपनी है।इस कंपनी ने झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन का धुर्वा में स्टेडियम का निर्माण किया।मोरहाबादी स्थित बिरसा मुंडा फुटबॉल स्टेडियम, रांची में समाहरणालय भवन, नामकुम में एसटीपीआई और रियाडा बिल्डिंग का भी निर्माण किया।चाईबासा, साहेबगंज सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग 500 किलोमीटर से अधिक का सड़क निर्माण किया है। एसटीपीआई बिल्डिंग के निर्माण के लिए कंपनी को झारखंड बिल्डर्स एसोसिएशन द्वारा कांट्रैक्टर ऑफ ईयर का भी अवार्ड दिया गया था।
रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऑफिस में एनआईए रेड
झारखंड में टेरर फंडिंग मामले की जांच कर रही एनआइए की जांच में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी का माओवादी कनेक्शन सामने आया है। एनआइ द्वारा कंपनी के स्टाफ गिरिडीह के सरिया थाना क्षेत्र के केशरवानी गांव निवासी मनोज कुमार की गिरफ्तारी के बाद छानबीन में कंपनी की गतिविधियां भी जांच के घेरे में आ गयी। टेरर फंडिंग में कंपनी का कनेक्शन मिलने के बाद एनआइए की टीम रांची में कचहरी रोड के पंचवटी प्लाजा स्थित रामकृपाल कंस्ट्रक्शन कंपनी के ऑफिस में रेड की थी।