झारखंड: बाबूलाल मरांडी ने CM को दी सलाह... कहा- हेमंत सोरेन जी क्षुद्र राजनीति छोड़िए, 3.5 करोड़ झारखंडियों की चिंता करिए
झारखंड की राजधानी रांची में 1द जून को हुए उपद्रव व हिंसा के बाद पुलिसिया कार्रवाई पर उठ रहे सवाल को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस के जामाताड़ा एमएलए इरफान अंसारी ने उपद्रवियों के परिजनों को 50 लाख मुआवजे की हिमायत पर जहां बीजेपी ने कड़ा एतराज जताया है। एक्स सीएम विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि अखबारों में उपद्रवियों के स्पष्ट फोटो छप रहे हैं, लेकिन सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है।
रांची। झारखंड की राजधानी रांची में 10 जून को हुए उपद्रव व हिंसा के बाद पुलिसिया कार्रवाई पर उठ रहे सवाल को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। कांग्रेस के जामाताड़ा एमएलए इरफान अंसारी ने उपद्रवियों के परिजनों को 50 लाख मुआवजे की हिमायत पर जहां बीजेपी ने कड़ा एतराज जताया है। एक्स सीएम विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि अखबारों में उपद्रवियों के स्पष्ट फोटो छप रहे हैं, लेकिन सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है।
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राँची में हुए हिंसा के बाद वैसे भी सरकार के प्रिय विधायक उपद्रवियों के परिजनों को 50 लाख मुआवजे की शिफारिश कर चुके हैं।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) June 13, 2022
कहीं इनके तुष्टिकरण की राजनीति में झारखंड आतंकियों का चारागाह न बन जाए!
हेमंत सोरेन जी ऐसी क्षुद्र राजनीति छोड़कर साढ़े तीन करोड़ झारखंडियों की चिंता करिए।
उन्होंने ट्वीट कर आशंका जताई है कि रांची में हुई हिंसा के बाद वैसे भी गवर्नमेंट के प्रिय एमएलए उपद्रवियों के परिजनों को 50 लाख मुआवजे की सिफारिश कर चुके हैं। कहीं इनके तुष्टीकरण की राजनीति में झारखंड आतंकियों का चारागाह न बन जाए। उन्होंने कहा है किहेमंत सोरेन को ऐसी क्षुद्र राजनीति छोड़कर साढ़े तीन करोड़ झारखंडियों की चिंता करना चाहिए। हिंसा के 72 घंटे बाद भी केवल खानापूर्ति के नाम पर एक गिरफ्तारी हुई है, वो भी बिहार के मिनिस्टरनितिन नवीन की गाड़ी क्षतिग्रस्त करने के आरोप में।
बाबूलाल ने कहा है कि आखिर क्या कारण है कि तमाम अखबारों में दंगाइयों के स्पष्ट फोटो होने के बाद भी वे पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं? हिंसा के बाद कहीं अपराधियों को सेफ टाइमिंग देकर उन्हें बाहर निकलने का मौका तो नहीं दिया जा रहा है? उन्होंने सवाल उठाया है कि पूरे घटना का लिंक यूपी के सहारनपुर से जुड़ रहा है। ऐसे में आतंकियों के प्रति ये अघोषित संरक्षण कहीं सत्ता के दबाव में तो नहीं है?